लड़किया जब भी लीक
से हटकर कुछ करने के लिए घर से निकली हैं उन्हें तमाम तरह के विरोधों का सामना करना पड़ा है। लड़कियों को जहां परिवार वालों का समर्थन नहीं मिला है वहीं हर एक कदम पर ताना मारा गया है। समाज भी लड़कियों को मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताडि़त ही करता
रहा है। जब यही बेटियां सारी
प्रताड़नाओं को सहते हुए
आगे निकली हैं तो मिसाल बनी हैं। रोल मॉडल बनी हैं। मां बाप का नाम रौशन किया है। इन
सबके बीच लड़कियों की स्थिति आज देश में अच्छी नहीं है। तमाम पीड़ाओं को सहते हुए
बेटियां देश को तरक्की की राह दिखा रहीं हैं, चांद और मंगल की यात्रा पर जा रही
हैं। खेल के मैदान से लेकर फैशन की दुनिया में देश का नाम रौशन कर रही हैं। देश की
महिला पत्रकार को विश्व के सबसे ताकतवर देश का राष्ट़पति नाम से पहचानता है ऐसे
ही देश का कड़वा पहलू यह है कि बेटियों को कभी मोबाइल तो कभी पहनावे तो कभी पढाई
को लेकर पाबंदियां झेलनी पड़ रही है। इन्हीं पाबंदियों के बीच देश के लोगो को
बच्चियों के प्रति संवेदनशील और जागरूक बनाने का बीड़ा उठाया है बिंदास टीवी के हल्ला
बोल-सीजन2 ने। सीजन -2 में देश की ऐसी ही 26 वीरांगनाओं ने मिलवाया जा रहा है जिन्होंने
जीवन में हर कठिनाइयों को सहते हुए हार नहीं मानी बस वे चलती रहीं। सफर में वे
गिरी, फिर उठीं, फिर चली,पलटकर पीछे नहीं देखा और अपनी एक पहचान बनाई।
बिंदास युवाओं खासकर किशोरों का पसंदीदा चैनल है
इस चैनल के सबसे ज्यादा दर्शक टीन एजर्स हैं जो पहले लव अफेयर करते हैं फिर उनकी
जासूसी कराते हैं। ऐसे ही रियलिटी शो से प्रचलित हुआ ये चैनल इन दिनों लोगों को
खासकर युवा वर्ग को जागरूक करने में जुटा है। जब मनोरंजन चैनल सेनसिटिव इश्यू पर
बात करने लगे तो समझना चाहिए देश बदलाव की ओर अग्रसर जरूर होगा। बिंदास के इस हल्ला
बोल सीजन-2 में ऐसी ही 26 डेयरिंग महिलाओं के जीवन और उन मुश्किल पलों को उन्हीं
की जुबानी सुना रहा है और फिर उनके जीवन का नाटकीय रुपांतरण भी दिखाता है। जिसे
युवा खासा पसंद कर रहे हैं।
पिछले दिनों इन्ही 26 में से तीन रोल मॉडल दिल्ली
में थी। महिलाओं के साथ हो रहे दुर्व्यवहार पर उन्होंने खुल कर बोला और कहा कि
हम महिलाओं को ही महिलाओं की मदद के लिए आगे आना होगा तभी समाज में हमारी
स्थितियां सुधरेगी। हमें एक दूसरे पर विश्वास करना होगा एक दूसरे के लिए आवाज
उठानी होगी। यदि कोई किसी लड़की के लिए गलत बोलता हुआ मिले तो आप चुप मत रहिए
लड़की की मदद के लिए आगे बढिए और आवाज बनिए साथ चलिए।
देश की पहली प्राइवेट
इनवेस्टीगेटर का खिताब रजनी पंडित को मिला है।रजनी अपने अनुभव बताते हुए कहती हैं
कि जब पहली बार घर में अपने जासूस बनने की इच्छा जताई तो पिता ने सिरे से खारिज
कर दिया था। कहा था कि जासूसी लड़़कियों के
बस की बात नहीं है। उन्होंने हार नहीं मानी। कहती हैं मेरा जुनून सिर पर चढ कर
बोल रहा था। जासूसी की शुरुआत कॉलेज से ही कर दी। पहले केस को याद करते हुए रजनी
कहती हैं कि वह एक पैसे वाले घर से आती थी और लड़कों के साथ घूमती फिरती थी पढाई
में उसका मन नहीं लगता था। वह हर दिन अपने मां बाप को बेवकूफ बनाने की कहानियां
सुनाया करती थी, एक दिन मैं परेशान होकर उसके घर गई और उसकी मां को सारी कहानी
सुना दी। लेकिन उस दोस्त की मां ने उनकी बात पर विश्वास नहीं किया और रजनी को ही
खूब खरी खोटी सुनाई। रजनी ने हार नहीं मानी और मां को उसकी बेटी की हकीकत से अवगत
कराकर ही दम लिया। इसके बाद फिर रजनी ने एक के बाद एक कई केस सुलझाए। एक पत्रकार
की बहन की जिंदगी जब उन्होंने बचाई तब उन्हें मुकम्मल पहचान मिली और 1988 में
उन्हें देश की पहली महिला जासूस होने का तमगा मिला। अब रजनी 47 वर्ष हो चुकी हैं
और अपने 25 से अधिक वर्षों में उन्हें कई कई बार घिनौने आरोपों का सामना करना
पड़ा। वह कहती हैं कि मैंने हार नहीं मानी और डटी रही। कभी नौकरानी बनीं, तो कभी
अंधी औरत तो कभी गर्भवती महिला तो कभी कभी गूंगी बहरी। डर शब्द उनकी डिक्शनरी
में नहीं है। उनका मानना है कि जासूस जन्म
से ही होते हैं बनाए नहीं जाते।
लड़कियों की आज की
स्थितियों के विषय में रजनी कहती हैं कि अब समय आ गया है कि हम हल्ला बोलें। जब
मैं जासूस बनी तब भी जासूसी करना महिलाओं का काम नहीं माना जाता था और आज भी यह
महिलाओं का काम नहीं माना जाता है लेकिन मैं यह काम इन्हीं लोगों के बीच 25 साल
से कर रही हूं और बेधड़क कर रहीं हूं।
बॉडी बिल्डर ममता देवी कॉलेज के दिनों में
खूबसूरत मॉडल हुआ करती थीं जिसपर पूरे कॉलेज के लड़के रश्क किया करते थे। आज भले
ही ममता के चेहरे पर वह मासूमियत न रही हो लेकिन अब उनका एक-एक हाथ ढाई किलो का है
और जब वह किसी पर पड़ता है तो वह इंसान उठता नहीं है उठ ही जाता है। इसी ममता देवी
का बॉडी बिल्डर बनने का सफर आसान नहीं रहा है।तीन बच्चों को बड़ा करते हुए खुद
के लिए समय निकालना, परिवार को चलाना बहुत मुश्किल था इस बीच परिवार वालों और
अड़ोसियों पड़ोसियों के ताने के साथ खुद को संभालना बहुत मुश्किल था। इस ममता को आप
भले ही न पहचानते हों लेकिन पूरी दुनिया इस भारतीय महिला की बॉडी और ट्राइशेप्स
की दीवानी है। अब वह किसी पहचान की मुहताज नहीं है। मणिपुर इंफाल में जन्मी तीन
बच्चों की मां दुनिया में भारत का नाम
रौशन कर रही है और अपनी बेहतरीन बॉडी के साथ कई खिताब भारत की झोली में डाल चुकी
है और भारत का नाम रौशन कर रही है। ममता कहती हैं कि मैं बचपन से ही धुनी हूं जो
काम ठान लिया वह कर के ही दम लिया। ममता के जीवन में कई उतार चढाव आए लेकिन उन्होंने
हार नहीं मानी वह कहती हैं कि उनके पति प्रोफेशनल बॉडी बिल्डर हैं और मिस्टर
इंडिया और मिस्टर एशिया का खिताब जीत चुके हैं। एक प्रतियोगिता में उनके पति विनर
थे लेकिन उन्हें विजेता घोषित नही किया गया तब उन्होंने ठाना कि अब मैं बॉडी
बिल्डिंग करूंगी। 2011 में उन्होंने बॉडी बनानी शुरु की और डेढ साल तक सिर्फ फिगर
बनाया और पूना में 2012 में आयोजति एक प्रतियोगिता में भाग लेने पहुंची तब तक भारत
में महिलाओं में बॉडी बिल्डिंग पॉपुलर नहीं था उसी वर्ष जून में उजबेकिस्तान गईं
और खिताब जीता फिर पीछे पलट कर नहीं देखा है कई अंतरराष्ट़ीय खिताब उनकी झोली में
हैं। वह बहुत खुश होकर बताती हैं कि अब बंगाल से छह और लड़कियां बॉडी बिल्डिर बन
कर आई हैं समय बदल रहा है अब बॉडी बिल्डिंग सिर्फ पुरुषों का खेल नहीं रहा है। ममता कहती हैं कि जब मैं जिम में बॉडी बनाती थी
तो अक्सर लोग मुझपर हंसते थे यह मर्दो वाला गेम है। मेरे चेहरे की मासूमियत खत्म
हो रही थी अड़ोसी पड़ोसी मुझे शक की निगाह से देखते थे लेकिन अब सबकुछ ठीक है।
लड़कियों से कहती हैं जब आप निकलेंगे तो शोर होगा अब आपको देखना है कि शोर सुनकर
छुपना है या सामना करना है औरआगे बढना है। जिंदगी तो कोई भी आसान नही होती है। आज
तक हम लड़कियां डरती ही रहीं हैं अब तो बाहर आइए जब तक डरेंगी लोग डराएंगे।