श्रद्धा को अपने चेहरे पर पसरी हुई नाक बचपन से ही खलती रहती
थी। परिवार के सदस्य और दोस्त भी अक्सर उसकी नाक को लेकर मजाक किया करते थे। वह
अक्सर सोचती थी कि काश ऐसा हो कि मेरी नाक ठीक हो जाए। एक दिन अखबार के पन्नों पर
उसे कॉस्मेटिक सर्जरी के क्लीनिक का विज्ञापन दिख गया। वह ऐसे चहक उठी जैसे कोई
जादुई चिराग उसके हाथ लग गई हो।
बिना किसी से सलाह लिए ही वह क्लीनिक
पहुंच गई और अपनी नाक को खूबसूरत बनाने की फीस के बारे में जानकारी ली और एक हफ्ते
में ऑपरेशन भी करा लिया। सर्जरी के बाद उसके पैरों तले की जमीन ही खिसक गई। अब
श्रद्धा की नाक न तो चौड़ी है और न ही पतली-तीखी बल्कि अब वह टेढ़ी हो चुकी थी। नाक
के छिद्र भी छोटे-बड़े हो गए थे जबकि नाक का रंग त्वचा के रंग से भी मेल नहीं खा
रहा था। श्रद्धा अब किसी भी सार्वजनिक जगह जाने से कतराने लगी। वह अपनी नयी नाक की
वजह से घर में ही कैद रहने लगी।
अचानक एक दिन एक अखबार में छपी एक खबर
पर नजर पड़ते ही उसकी आंखों में उम्मीद का मानो कोई दीया-सा जगमगा उठा। अब श्रद्धा
सरकारी अस्पतालों के चक्कर लगाने लगी थी। श्रद्धा लोकनायक अस्पताल के बर्न एवं
प्लास्टिक सर्जरी विभाग पहुंची जहां बहुत कम फीस में श्रद्धा की नाक ठीक हो गई
बल्कि उसे वैसा आकार भी मिला जैसी नाक का ख्वाब वह देखा करती थी। लेकिन हर कोई
श्रद्धा की तरह भाग्यशाली नहीं होता है। कई बार तो सेलिब्रिटी को भी इन क्लीनिकों
की वजह से नुकसान उठाना पड़ा है।
बॉलीवुड की अभिनेत्री कोयना मित्रा की
नाक सर्जरी के दौरान इतनी खराब हो गई कि उन्हें फिल्मों से विदाई लेनी पड़ी। इसी
सर्जरी के चलते कुछ साल पहले दुनिया ने दो बड़े कलाकारों को खो दिया। नवंबर 2009 के आखिरी दिनों में 38 वर्षीय पूर्व सुंदरी मिस
अर्जेन्टीना सोलेंग मेगनेनो की कॉस्मेटिक सर्जरी की वजह से ही मौत हो गई थी।
मेगनेनो की मौत ने दुनिया में सुंदरता
के लिए सर्जरी का सहारा लेने वालों को अंदर तक हिलकर रख दिया। इस मौत की वजह से
सर्जरी पर पहली बार सवालिया निशान लगा था। सोलेंग जुड़वे बच्चों की मां थीं। प्रसव
के बाद शरीर में हुए बदलावों से वह खुश नहीं थीं और कूल्हों को आकार में लाने के
लिए उन्होंने सर्जरी करवाई थी। सर्जरी के दौरान प्रयोग की गई सूई से उनका शरीर
बुरी तरह से संक्रमित हो गया और संक्रमण पसर कर फेफड़ों और मस्तिष्क तक पहुंच गया
था। सर्जरी के बाद अचानक पैदा हुई समस्या के कारण उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया
गया था जहां दो दिन में ही उनकी मौत हो गई थी।
मशहूर पॉप सिंगर माइकल जैक्सन की मौत
का कारण भी कॉस्मेटिक सर्जरी ही बनी थी। गोरे रंग की चाहत लिए माइकल जैक्सन ने
अपनी त्वचा की कई-कई बार सर्जरी कराई कि उन्हें त्वचा कैंसर ने अपनी गिरफ्त में ले
लिया था।
कई बॉलीवुड अभिनेत्रियों ने भी अपनी
कायाकल्प बदलने के लिए सर्जरी कराई है। इनमें प्रमुखता से शिल्पा शेट्टी, प्रियंका चोपड़ा, सुष्मिता सेन, करीना, बिपाशा, मल्लिका सेहरावत, श्रुति हासन, राखी सावंत को शामिल किया जा
सकता है। रजनीश दुग्गल सहित कई अभिनेताओं ने भी अपने किसी न किसी अंग की सर्जरी
करवाई है। राखी सावंत ने भी अपने स्तनों के आकार को बढ़ाने के लिए सर्जरी कराई थी।
सर्जरी सफल नहीं होने की वजह से
उन्हें भी सर्जरी की प्रक्रिया से बार-बार गुजरना पड़ा था। सेलीब्रिटी के चमकते
दाग-धब्बे रहित चेहरे को देखने के बाद अक्सर लोग इन क्लीनिकों का चक्कर लगाने लगते
हैं। इन दिनों देश में बोटोक्स ट्रीटमेंट काफी पॉपुलर है। फिक्की के अनुसार भारत
में स्किन केयर (त्वचा की देखभाल) का बाजार 29000 करोड़ रु. का है जिसके 2014 तक 49000 करोड़ रु. के हो जाने की
उम्मीद है।
मुंबई में कॉस्मेटिक क्लीनिक चला रहीं
रश्मि शेट्टी बताती हैं कि सिर्फ सेलीब्रिटी ही नहीं एक्जिक्यूटिव, रिशेप्सनिस्ट आदि जगहों पर
काम करने वाले 30 साल से
अधिक उम्र के युवा अपने चेहरे पर पड़ गई लकीरों को खत्म करने के लिए कई प्रकार के
बोटोक्स ट्रीटमेंट ले रहे हैं।
अब सवाल यह उठता है कि क्या वास्तव
में खूबसूरती की सनक लोगों को मौत के मुंह में धकेल रही है? उनके चेहरे को खूबसूरत नहीं
बल्कि बदरंग बना रही है? क्या
आम लोग भी फिल्मी कलाकारों की तर्ज पर सुंदर दिखने की चाह में अपने शरीर से खिलवाड़
करने में हिचकिचा नहीं रहे हैं और उनकी जिंदगी के साथ खेलने में ये गली, चौक-चौराहों पर खुल चुके
स्किन क्लीनिक इसमें अहम योगदान दे रहे हैं। अब दिल्ली के सरकारी लोकनायक अस्पताल
में भी महीने में तीन-चार मामले श्रद्धा जैसे लोगों के आने लगे हैं। इनमें से
ज्यादातर मामले बिगड़े हुए चेहरे और खराब हो चुके सिर के बाल वालों के होते हैं। यह
महज एक सूचना है।
राजधानी में ऐेसे कई बेहतरीन सरकारी
और गैर-सरकारी अस्पताल हैं जहां लोग अपनी बिगड़ी सूरत के साथ पहुंच रहे हैं।
लोकनायक अस्पताल में बर्न एवं प्लास्टिक सर्जरी विभाग के प्रमुख डॉ राजीव बी.
आहूजा बताते हैं कि हर महीने लगभग ३-४ ऐसे मामले आ जाते हैं जिनका निजी क्लीनिकों
ने मामला खराब कर दिया होता है। इन आंकड़ों से आप सहज अंदाजा लगा सकते हैं कि
राजधानी में कई सरकारी और गैर-सरकारी अस्पताल हैं जहां ऐसे मरीज पहुंच रहे होंगे।
आहूजा बताते हैं कि पिछले दिनों 28 साल का एक जनसंपर्क अधिकारी अपनी बिगड़ी नाक के साथ आया था।
पहले के सर्जरी क्लीनिक वालों ने उनकी
नाक सुधारने के बजाय जरूरत से ज्यादा उस अधिकारी की नाक की झिल्ली जरूरत से ज्यादा
काट दिया था। नाक के छिद्रों को भी छोटा-बड़ा कर दिया था। वह पहले ही निजी क्लीनिक
में डेढ़ लाख रुपये खर्च कर चुका था। दूसरी बार के लिए भी उससे इतने ही पैसो की
मांग की गई लेकिन अब वह वहां दोबारा ऑपरेशन नहीं कराना चाहता था इसलिए वह मेरे पास
आया था।
अब उसकी नाक ठीक है और उसके पैसे भी
ज्यादा नहीं लगे हैं। आहूजा बताते हैं कि अक्सर लड़कियां अपने स्तनों को बढ़ाने और
वजन को घटाने का ऑपरेशन कराती हैं और उन्हें बाद में पता चलता है कि या तो उनके
स्तनों से ‘निप्पल’ गायब हैं या फिर स्तनों का
आकार छोटा-बड़ा हो गया है। कई बार स्तन की त्वचा पर दाग-धब्बे हो गए हैं। डॉ. आहूजा
कहते हैं कि ऐसी समस्या तब आती है जब सर्जन पूरी तरह से प्रशिक्षित नहीं होते हैं।
इन दिनों दिल्ली, मुंबई
ही नहीं पूरे देश में कॉस्मेटिक क्लीनिकों का गोरखधंधा तेजी से पनप रहा है।
ब्यूटीशियन बोटोक्स की सूइयां लगा रही
हैं जबकि तकनीशियन लेजर थेरेपी कर रहे हैं। दिल्ली मेडिकल काउंसिल (डीएमसी) के
रजिस्ट्रार डॉ. गिरीश त्यागी बताते हैं कि डीएमसी के पास ऐसे क्लीनिकों की काफी
शिकायतें आ रही हैं। यहां तक कि लेजर द्वारा दाग-धब्बे हटा देने का दावा करके पूरे
शरीर को खराब कर देने की भी कई शिकायतें आई हैं जिसके खिलाफ समय-समय पर डीएमसी
ऐक्शन लेती रही है।
मैक्स हेल्थकेयर के रिकंस्ट्रक्टिव
प्लास्टिक सर्जरी के निदेशक डॉक्टर सुनील चौधरी कहते हैं कि ऐसे क्लीनिकों के
खिलाफ कोई भी कार्रवाई नहीं हो रही है। दिल्ली मेडिकल काउंसिल को खुद संज्ञान में
लेते हुए ऐसे क्लीनिकों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। इन क्लीनिकों
में कई बार प्रशिक्षित डॉक्टर भी नहीं होते हैं।
डॉ. अनिल बंसल बताते हैं कि कॉस्मेटिक
सर्जरी व क्लीनिकों के खिलाफ अक्सर ही डीएमसी और आइएमसी में शिकायतें आती रहती हैं
और समय-समय पर डीएमसी इन क्लीनिकों के खिलाफ कार्रवाई करती रहती हैं लेकिन अब समय
आ गया है कि ऐसे क्लीनिकों के खिलाफ एक कड़ा कानून बनाकर सख्त से सख्त कार्रवाई की
जाए।
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