ठुल्ला या मंदिर की घंटी
जो आया बजा कर निकल गया
पूजा मेहरोत्रा
पुलिसवाले यानि मंदिर की
घंटी। जिसे जो चाहे जब चाहे बजा देता है। ‘टन्न’। मंदिर आने वाला भी और जाने वाला
भी। कुछ तो खड़े होकर तब तक बजाते रहते हैं जब तक कि मंदिर में खड़े लोग उस बंदे
या बंदी को पलट कर देखने न लग जाएं। टन्न टन्न् टन्न्ा। कुछ ऐसा ही हाल दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद
केजरीवाल और उनके 67 से घटकर रह गए 66ठों का है। जब देखने लगते हैं कि जनता हमारा
घेराव करने वाली है। बस आव देखा न ताव पुलिस को ‘टन्न टन्न टन्न’ करने लग जाते
हैं। चुनाव के दौरान किए गए वादों पर जब लगने लगता हैकि जनता सवाल करने वाली है
अपनी सारी नाकामयाबी का ठीकरा पुलिस पर फोड़ देते हैं। कभी ठुल्ला कह देते हैं तो
कभी मोदी का चमचा। कभी घूसखोर होने का आरोप लगा देते हैं तो कभी पुलिस वालों को
सीधा कर देने का। कुछ ऐसा ही एकबार फिर मिनाक्षी मर्डर के बाद सामने आया। महिलाओं
के छेड़ छाड के बढते मामले पुलिस नाकामयाबी के किस्से बार बार उजागर होते रहे
हैं। यह कोई नई बात नहीं हैं। आज जो मिनाक्षी के साथ हुआ कल वो हमारे साथ भी हो
सकता है और आपके साथ भी। कई जगह पुलिस मुस्तैद भी होती है। अधिकतर जगह नहीं होती
है और दुर्घटना घटती है। जब मुस्तैद होकर काम करती है तो सरकार अमिताभ ठाकुर और
दुर्गा की तरह व्यवहार भी करती है। केजरीवाल और आपकी पार्टी थोडी अलग है। केजरीवाल
राजनीतिज्ञ तो बन गए लेकिन इंसानियत भूल बैठे हैं। अपनी नाकामयाबी का ठीकरा दिल्ली
पुलिस पर फोडा तो फोडा ठुल्ला, ये क्या बोल दिया। मेरा एक सवाल है जब केजरीवाल
चुनावी घोषणाएं कर रहे थे तो कहा था कि आप पार्टी हर गली मुहल्ले में एक ऐसे
फोर्स का गठन करेगी जो गली मुहल्लों में महिलाओं की रक्षा का दारोमदार उठाएंगे। कहां
है वो फोर्स। पुलिस वाले तो आप पहले से ही जानते हैं कि ठुल्लों की फौज है।
आप केंद्र सरकार से दिल्ली पुलिस को दिल्ली
सरकार को दे देने की मांग बार बार कर रही है और पुलिस को ठीक कर देने की बात भी कर
रही है। केजरीवाल एमसीडी के कर्मचारियों की सैलरी नहीं दे पा रहे है। पूरा शहर कूडे में तब्दील कराकर आप
राजनीति करने निकल पड़ते हैं। कूडा उठाने की राजनीति। चलिए एमसीडी में भ्रष्टाचार
है और वहां भाजपा का बोलबाला है। आपकी राजनीति को हवा देने की बड़ी वजह भी। लेकिन ‘डीटीसी’।
क्या वहां के कर्मचारी भी भाजपाई हैं। उनकी सैलरी क्यों नहीं आ रही है। क्यों बुजुर्गों
को पेंशन नहीं जा रही है। पानी की सप्लाई पर दक्षिणी दिल्ली के सांवल नगर
वासियों का कहना है कि केजरी सरकार के आते ही पानी का संकट गहरा गया है। ऐसे कई
इलाके होंगे जहां पानी नहीं आ रहा होगा आ रहा होगा तो।
वो परेशान करते रहे आप काम
करते रहे। कहां काम कर रहे हैं आप। बिजली का बिल आधा तो कर दिया है, पानी भी मुफत
कर दिया है लेकिन क्या आप जानते हैं इससे बहुत बड़ी आबादी को बहुत फर्क नहीं
पड़ता था न पड़ रहा है। जो दस हजार खर्च करता है वो 400 रुपए भी खर्च कर सकता है।
मुददा तो महिलाओं की सुरक्षा का है, कहां कर रहे हैं आप सुरक्षा।
अब फिर एक बार पुलिस की
बात बारिश और कडकती धूप में अगर दिल्ली पुलिस सड़क
से हट जाए तो आप सीधा चल नहीं पाते हैं। रात में जब कोई कार वाला रईसजादा जांच में
जुटी पुलिस को कई किलोमीटर तक घसीटता है तो आप नजर नहीं आते हैं। जब ट्रक वाला
तयशुदा माल से ज्यादा माल ढो रहा होता है और जब पुलिस चेकिंग के लिए रोकती है और
ट्रक सभी सिपाहियों पर अपना चक्का चढा कर निकल जाता है तो आप नजर नहीं आते हैं।
जब मोहनचांद जैसे पुलिस वाले डेंगु से पीडित बेटे को अस्पताल में छोड कर
आतंकवादियों से लड़ता हुआ ढेर हो जाता है तब आप उसे शक कि निगाह से देखते हैं और
उसकी शहादत को भी राजनीति की भेंट चढा देते हैं। जब आप दीवाली पर परिवार वालों के
संग पटाखे छोड रहे होते हैं वही ठुल्ला पटाख्े की आड़ में कोई आतंकी बम न छोड
जाए उसके लिए सड़क पर होता है। जब रात में दो बजे कोई बहन रक्षा के लिए आवाज लगाती
है तो वही भाई जाता है घर मे ंअनाज भी भर आता है।
हर चौक चौराहों पर मुहल्ला
सभा में घूम घूम कर बेटियों की रक्षा का वादा आपने पुलिस के भरोसे तो नहीं किया
था। मिनाक्षी पर जब गली में कई सौ लोगों के बीच हमला हो रहा था तब आपके कार्यकर्ता
भी तो रहे होंगे। भाजपाई कांग्रेसी तो शुरू से राजनीति करते आ रहे हैं आप तो हमारे
थे, हमारे होने का दावा कर रहे थे। केजरीवाल से पूरी दिल्ली को बहुत उम्मीदें
थीं। महज छह महीने में सारी उम्मीदों पर ऐसा गटर का पानी बहा है कि सांस लेना तक
दुस्वार होता जा रहा है। आम आदमी का पसीना वाला होर्डिंग तो 67 सीटों की गिनती
पूरी होते होते ही राजधानी भर से उतार लिया गया था उसकी जगह मुस्कुराते नेहरू
बंडी जिसे आजकल मोदी जी ने ट्रेंड में ला दिया है में केजरीवाल मुस्कुराते हुए
धन्यवाद मुद्रा में नजर आने लग गए थे। उस दिन दिल्ली की जनता को एहसास हो गया था
कि वो एक बार फिर ठग ली गई है। ये आम की भेषभूशा में कोई खास ही था जो एक बार फिर
गरीबी की आड़ में राजनीति कर रहा है। कल
तक झाड़ू लिए लिए गली मुहल्लों में घूमने वाला, न न कर सरकार की सारी सुविधाएं
सीना तान कर उपयोग कर रहा है। उसकी बिजली का बिल जब एक लाख आता है तो मुस्कुराते
हुए कहता है मोदी जी का, राष्ट्रपति का और ग़हमंत्री के घर का बिल से हमारे बिल
की तुलना कीजिए। क्यों साहब उनसे आम आदमी की तुलना की जा सकती है क्या।
खूब राजनीति कीजिए। अन्ना
से लेकर योगेंद्र यादव और प्रशांतभूषण तक से आपने राजनीति ही तो की है। केंद्र
सरकार से, मोदी सरकार से दो दो हाथ भी कीजिए। आपका हक है। लेकिन जरा शब्दों के
बाण चलाते समय सावधान रहिए। जिसे आप ठुल्ला कह रहे हैं उसके बच्चे भी हैं। आपको
कोई बुरा कहता है तो आपके बच्चे स्कूल जाना छोड देते हैं, आपको बुरा लगता है।
कुमार विश्वास की बेटी स्कूल नहीं गई थी आपकी इज्जत तार तार होती नजर आ रही थी।
उन ठुल्लों के भी बच्चे हैं।
No comments:
Post a Comment