Saturday 17 October 2015

मैं आजकल केवट के रोल में ही हूं

राम लीला चल रही है. दिल्ली में चल रही रामलीला इसबार बॉलीवुड के कलाकार भाग ले रहे हैं. पिछले दिनों पूर्वी दिल्ली से  सांसद, गायक और अभिनेता मनोज तिवारी से मुलाकात करने का मौका मिला बड़े प्यार से कहा रील हो या रीयल मैं ‘केवट’ यानी सेवक ही हूं- 


दिल्ली की रामलीला में इसबार फिल्मी तड़का लगा है। भोजपुरी फिल्मों के अभिनेता, गायक  सांसद मनोज तिवारी  रामलीला में केवट बन राम की नैया पार लगाएगें। लोकप्रिय धारावाहिक महाभारत में द्रोणाचार्य की भूमिका निभाने वाले सुरेंद्रपाल रावण की भूमिका में, मां वैष्‍णों धारावाहिक की मां बन चुकी रूपा दत्ता मां सीता के रूप में दिखेंगी।  बालीवुड अभिनेता रवि किशन -भरतपॉप गायक शंकर साहनी -विभिषणरजा मुराद -अहिरावण के पात्र में नजर आ रहे हैं। फिल्‍मी कलाकारों से भरी इस रामलीला का आयोजन 13से 23 अक्टूबर तक रामलीला मैदान में चल रहा है। 
भारतीय फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट के अध्यक्ष पद को लेकर विवादों में आए गजेंद्र चौहान शंकर की भूमिका में नजर आएंगे। रामलीला में पात्र निभाने वाले फिल्मी सितारों की फेहरिस्त जरा लंबी है। इसमें शक्ति कपूरहेमंत बिरजेपुनीत इस्सर,असरानी समेत करीब एक दर्जन फिल्म व टेलीविजन से जुड़े कलाकार शामिल है।
सांसद मनोज तिवारी अपने किरदार के विषय में कहते हैं कि वो रील लाइफ हो या रीयल लाइफ दोनों में ही केवट की ही भूमिका में हैं। यही उनकी वास्तविक पहचान है। जनता, समाज, फिल्‍मी करियर और गायकी से जुड़े कई मनोरंजक लेकिन तीखे सवाल कर रहीं है पूजा मेहरोत्रा और वैसे ही चालाकी भरे जवाब दे रहे हैं मनोज तिवारी
रामलीला में आप केवट के रोल में नजर आएंगे?
मैं आजकल केवट के रोल में ही हूं। चाहें वह स्‍टेज हो या फिर जिंदगी। असल में काम सेवक का ही है। स्‍टेज पर राम जी का केवट बनूंगा रीयल लाइफ में जनता का सेवक हूं। हालांकि जो भूमिका मिले उसे तो सहज तरीके से निभाने की कोशिश करूंगा। डायलाग तो मंच पर बोलुंगा। गाना पहले से रिकार्ड होगा। 
 रामलीला के दौरान सबकुछ स्‍टेज पर हजारों लोगों के सामने, रिहर्सल की जरुरत पड़ेगी?
हांनिश्चित तौर पर मैं तैयारी करूंगा।  मुझे अन्य पात्रों के साथ तैयारी करनी होगी। संवाद वगैरह सारे। जहां तक स्‍टेज पर लाइव पर फॉरमेंस की बात है तो मैं आपको बता दूं कि मैं मात्र तीन सालों से ही मंच से दूर हूं। मैं हर वर्ष अपने गांव में रामलीला कराता हूं और पात्र भी निभाता हूं। जब मुझे रामलीला के लिए अनुरोध किया गया तो मुझे हां करने में एक मिनट नहीं लगा, मुझे मेरा गांव याद आ गया। वह अहसास पैदा हुआ कि जैसे अभी रामायण उठाओ और पात्रों को जीओ। 
सांसद के तौर पर दिल्ली वाले आपसे परिचित है। अब आप सीधे तौर पर उनसे जुड़ेगे एक कलाकार के तौर पर आप इसे किस तरह लेते हैं?
दिल्ली के लोग मुझे और करीब से जान सकेंगे कि मनोज तिवारी एक कलाकार एक व्यक्ति के तौर पर कैसा है। वैसेमैं खुद दिल्ली से लगातार जुड़ रहा हूं। दिल्‍ली और दिल्‍ली के लोगों की खासकर मेरे पूर्वी दिल्‍ली के लोगों को  समझने की कोशिश कर रहा हूं। 
दिल्‍ली पहले आप मेहमान के रूप में आते थे अब आप यहां सांसद है, क्‍या बदलाव लाने की कोशिश कर रहे हैं
पहले दिल्‍ली से हिचक होती थी। अब दिल्‍ली मेरी लाइफ लाइन बन चुकी है। यहां का हर कुछ अलग है, सावन में कांवडि़या के लिए जितनी व्‍यवस्‍था होती है उतनी ही शबे बारात और जुमा पर भी व्‍यवस्‍था की जाती है। पूर्वी दिल्‍ली की बदहाली देखकर निराश हूं, बदलना है कुछ करना है। बहुत मुश्किल है लेकिन नामुमकिन नहीं है।
पूर्वी दिल्‍ली गंदगी और भीड़ भाड़ वाली जगह है और यही इसकी सबसे बड़ी परेशानी भी है, क्‍या कुछ नया करने की कोशिश है
पूर्वी दिल्‍ली के लिए एक सेंट्रल स्‍कूल पास कराया है। डीडीए ने पिछले चार महीने से जमीन नहीं दी है जहां काम शुरू हो सके। 119 जगहों पर अनऑथराइज्‍ड कब्‍जा है। चूंकि वोट बैंक है तो नेता उन कब्‍जा वाली जगह पर हाथ नहीं डालता है लेकिन मैंने सोच लिया है भले ही मुझे हरा दें अगले चुनाव में लेकिन मैं कुछ अलग करूंगा। मुझे सिर्फ गायक और अभिनेता न समझें अभि से हटकर मैं नेता ही हूं। मैं अपनी पूरी ताकत लगा दूंगा। बदलाव की शुरुआत कर दी है।
अक्‍रस जीत के बाद अभिनेताओं और सेलिब्रिटी अपने एरिया से गायब हो जाते है
जी मैं हर चौथे दिन अपने क्षेत्र के किसी न किसी वार्ड में मिलता हूं।मिलूंगा। शुकून मिलता है। मैं जो भी हूं इन्‍हीं लोगों की वजह से हूं गायक, नेता या फिर अभिनेता। कुछ तो समाज के लिए करूंगा ही ।
आप लोगो का खर्च बहुत होता है क्‍या सांसद निधि से काम चल जा रहा है
जी आपने दुखती रक्‍त पर हाथ रख दिया है। बहुत मुश्किल में हो गया है गुजारा। सांसद निधि और हमलोग को जितनी सैलरी मिलती है उससे चौगुना खर्च है हमारा। अगर ईमानदारी से काम करना है औश्र समाज को कुछ देना है तो नाचना गाना और अभिनय करके अपना खर्च भी निकालना पड़ता है और आम जनता की इसी से मदद भी करते हैं। अक्‍सर हम कलाकारों को लोग नेता बनने क ेबाद कुछ अलग अंदाज से देखते हैं। नहीं हम अपना खर्चा नेता बनने के बाद भी स्‍टेज शो करके या फिल्‍मों में काम करके ही निकालते हैं।
रील लाइफ का जनप्रतिनिधि और रीयल लाइफ के जनप्रतिनिधि मे कितना फर्क है?
मैं अपनी तरफ से रीयल लाइफ के जनप्रतिनिधि के साथ तो न्याय करने की पूरी कोशिश में हूं। मेरा मोबाइल नंबर हमारे क्षेत्र में हर किसी के पास है। मैं सभी से कहता हूं मुझे फोन करो और समस्‍या बताओ। हर दिन लगभग दस हजार फोन आता है। मैं बिना सुरक्षा के ही निकलता हूं। ताकि जान सकूं कि आम जनता सड़क पर किन किन समस्‍या का सामना कर रहा है।